Saturday, July 20, 2013

पांचवा सत्र

 आज डॉ सुरेद्र दलाल कीट साक्षरता किसान खेत पाठशाला राजपुरा (भैंण )का पांचवा सत्र था !मेरे साथ गाँव ईगराह से छ किसान राजपुरा (भैंण )पहुंचे थे !पाठशाला वाले खेत में ट्रेक्टर ट्राली में कीटों के फ्लैक्स बोर्ड देख कर मैं अंदाजा लगाने में सक्षम था  कि आज जरुर हमारी पाठशाला में कोई मेहमान आने वाला है !जिसकी मुझे अब तक कोई सुचना नहीं थी !तभी बलवान सरपंच पाठशाला पहुंचे! और मुझे बताया कि आज पाठशालामें  हमेठी में ट्रेनिंग  पर  आये हुए कृषी अधिकारियों की टीम के  साथ ह्मेठी का स्टाफ हमारे यंहा मेहमान रूप में आ रहा है !मुझे सुनकर बड़ी खुशी हुई और बड़े  चाव से बोर्डो को ढंग   से लगाने लगा तभी ललित खेड़ा व् निडाना निडानी की टीम पहुंच गई !और साथ पहुंचे डॉ कमल ने बताया की समय अभाव के कारण केवल नये  बोर्डों की  ही व्याख्या करेंगे!औरनये किसान ही व्याख्या करेंगे ! सब की  राये डॉ कमल के साथ थी !नये किसानो के नाम तय कर दिए गये !तभी कृषि अधिकारियों की टीम पहुंच गई !सब से पहले खेत का निरिक्षण किया गया !बारिस रात को ही हुई थी !इस लिए खेत बिल्कुल गिला था !बचते बचाते पाँच -पाँच पोधों का नों -नों पत्तो द्वारा निरिक्षण किया गया !बलवान सरपंच ने मेहमानों का पाठशाला में पहुँचने पर स्वागत किया तथा धर्मपाल पहलवान को आज का  मुख्यातिथि घोषित किया !डॉ कमल  ने पाठशाला के बारे प्रकाश  डाला और CESA के बारे में बताया मतलबcottan eco sistem analysisऔर सत्येवान ईगराह को किट बही खाता तैयार करने का इशारा किया !सत्येवान ईगराह ने मेजर रस चोसक कीट सफेद मक्खी ,हरा तेला ,व् चुरडा का सभी छ ग्रुपों का ओसत मान निकाल कर बताया कि आज खेत में   1.7 सफेद मक्खी 1.9 हरा तेला व् 2.8 चुरडा प्रति पत्ता है   !सूबेदार मेजर कीटों में लाल बणिया व् आल गोल में हरिया ,बिजड़ ,व् मिर्ड बग तथा मासाहारी कीटों में दस्यु बुगडा जमीनी बीटल हंडेर आफियाना गुचको मकड़ी लेडी बीटल कराईसोपा आदि देखे गये !सत्यवान ने बताया कीड़ो की इस स्तिथी में फसल को किसी भी प्रकार के कीटनाशक की जरूरत नही है !तभी रमेश व् सत्यवान बुगड़ो का बोर्ड लेकर आगए !बुगडिया खाप की तरफ से सभी कृषी अधिकारीयों व् किसानो का स्वागत करने के बाद रमेश ने बताया की सभी बुग्ड़े मासाहारी है और अपने मजबुत डंक के साथ अपने हान के या छोटे किट का खून पीने में सक्षम हैं !इन बुगड़ो के नाम इन की बनावट के हिसाब से रखे गये हैं !सिंगू बुगडा, कातिल बुगडा ,बिन्दुवा बुगडा ,मिर्डा बुगडा  के बारे में बताने के बाद सत्येवान ने डाकू बुगडा  ,दसु बुगडा , दिद्ड बुगडा के बारे में बताते हुए सभी चोदह बुगड़ो के बारे में बताने की कोशिश  की लेकिन डॉ भगवान  रूप होता है !यह बात हमारे किसानो के जहन में घर बनाए बैठीहै !नए किसानो का जबान लडखडाना स्वाभाविक था !एक किस्म से इम्तिहान का माहोल था किसानो के मन में जिसके कारण अगले बोर्ड के साथ कोई किसान नही आया! तो मैंने  ही उन कीटों के बारे में बताना पड़ा जो अपने  ovipogiter के सहारेछुपी हुई सुंडियोमें भी अपने अंडे देकर बच्चे पलवातेहैं !कुलदीप ईगराह ने याद दिलाया की ये ही कीड़े जो धानकी फसल में गोब वाली सुंडी में अपने बच्चे पलवाने के चक्कर में उन सुंडियो का खात्मा करते हैं !सुरेश चाबरी ने भिरड़ तैत्ये व् अजन्हारियोंके बारे में अच्छे से व् खुलकर बताया !रामदेवा ने लेडी बीटल के बारे में बताया ये भी बताया की पंद्रह प्रकार की  लेडी बीटल हमारे यहाँ मोजूद हैं ! जो सभी पूर्ण रूप  से माँसाहारी हैं ! भोजन अभाव में  अपने बच्चों व अपने साथी कीट को खाते हुए कई बार देखा है लेकिन कभी शाकाहार करते हुए नहीं देखा !बोर्डों की व्याख्या के बाद डॉ सुभाष ने डॉ सुरेन्द्र दलाल के प्रयासों व सोच की सरहाना करते हुए उनके अधूरे कार्य को पूरा करने के लिए किसानो का होंसला बढाया और किसानो को कृषि अधिकारियों के साथ खुली बहंस  के लिए आमंत्रित किया !हमेठी की तरफ से डॉ राजेश लाठर ने बहंस की शुरुआत करते हुए पूछा कि तुम लोग किस आधार पर कह सकते हो कि पौधे अपनी जरूरत के हिसाब से शाकाहारी कीड़ों को बुलाते हैं !सुभाष इंटल खुर्द ने डॉ  राजेश लाठर की बात का जवाब देते हुए बताया कि पतों में सुराख़ करके खाने वाले कीड़े तभी क्यों आते हैं जब ऊपर के पते नीचे के पतों पर छाँव कर चुके होते हैं और बुरी तरह से खरोंच पते खाने वाले फसल की पक्की अवस्था में ही क्यूँ आते हैं जबकि पते फसल में शुरु से ही होते हैं और नर्म व स्वादिष्ट भी होते हैं !तभी डॉ राजेश ने सुभाष की बात को काटते हुए बताया कि सभी कीड़ों का अपना टाइम होता है ! कुलदीप ने इस बात का जवाब देते हुए कहा डॉ साहब वो  कीड़े तो इस टेम भी फसलों के आस पास दूसरे पौधों पर मौजूद हैं मैंने आज ही बालों वाली सुंडी के दर्शन किये हैं इसके अलावा मुझे ये भी बताओ कुबड़ा कीड़ा व अर्ध कुबड़ा कीड़ा एक अंगुल चोडा सुराख़ पते के अन्दर करने के बाद उस पते को छोड़ कर क्यूँ चला जाता है जबकि उसकी भूख व़ेह दूसरे पते पर जाकर मिटाता है !इसका हमेठी से आये हुए नए अधिकारियों मे से एक साहिबान ने जवाब देते हुए बताया कि ये कीड़ों के टेस्ट का स्वभाव है झोटे खागड़ भी कहीं कहीं मुह मार के खाते हैं क्या उन्हें भी फसलें बुलाती हैं ! तभी डॉ दल की तरफ से खिलखिलाहट की आवाज सुन कर रमेश ललित खेडा ने तमतमाते हुए डॉ राजेश की तरफ कपास के फूल को हाथ में उठा कर बढ़ाते हुए पूछा डॉ साहब सारा पोधा हरा होने के बावजूद यह फूल रंगीन क्यूँ है ? तभी डॉ राजेश ने मुस्कुराते हुए बताया की यह कीड़ों को आकर्षित करने के लिए रंगीन है और यह भी सच्चाई है कि यह कीड़ों को बुलाने के लिए महक भी छोड़ते हैं इसके साथ मैं इस बात से तो सहमत हूँ कि पोधे कीड़ों को बुलाते हैं लेकिन ऊपर के पतों में सुराख़ होने से पोधों को क्या लाभ होगा यह बात मेरी समझ से बाहर है तभी मैंने बहंस मे सरीक होते हुए बताया कि ऊपर के पतों में सुराख़ होने से नीचे के पतों पर सूर्य की धूप पहुंचती है जिससे सभी पते मिलकर ज्यादा भोजन बनाने मे सक्षम होते हैं !डॉ राजेश ने मेरी बात को काटते हुए कहा की पोधे तो बादलों की छांव मे भी भोजन बनाते हैं तभी डॉ कमल ने लंबी होती बहंस को समेटने के लिए किसानो की तरफ से बहंस में सरिक होते बताया कि डॉ साहब काम चलाने मे और खुल के जीने में फर्क होता है !बादलों की छाव में पौधे भोजन नि :सन्देह बनाते हैं लेकिन कामचलाऊ खिली धुप में ही पौधे पूरा भोजन बना सकते हैं !डॉ कमल ने बताया की जो पौधे किसी वृक्ष की छाँव में होते हैं उन के उपर के पतोंमें  सुराक नही मिलता!डॉ सुभास ने कहा की यह बात बिल्कुल सही है !इस को यंही छोडो इस के बजाय जो कपास की फसल में हरे तेले का प्रकोप बढ़ा है !इस पर चर्चा करते हैं !नये डॉ ने मास्टर सुल्तान की तरफ इशारा करते हुए कहा की आप लोग इस को मारने के लिए क्या करते हो !सुल्तान ने खेड़े होते ही कहाकि मारना पैदा करना काम भगवान का जब प्रकृति ने उनको खाने वाले किट दे रखे है !हम क्यों पंगा लें !हरा तेला पोधों से रस चूसता है !हम डॉ दलाल घोल छिडक कर पोधे के रस की पूर्ति करवा देते हैं !इसमें मारने या मरने का जिकरा नही !

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